Sep 2014 Hindi 4th week

हमासऔरफतहगाजापट्टीमेंफिलिस्तीनीप्राधिकृतसरकारकोअनुमतिदेनेपरसहमत

30-SEP-2014

हमास और फतह ने गाजा पट्टी में फिलिस्तीनी प्राधिकृत सरकार को अनुमति देने पर अपनी सहमति की घोषणा 25 सितंबर 2014 को की. यह समझौता रामी हमदिल्लाह की अध्यक्षता वाली फिलिस्तीनी प्राधिकरण को गाजा पट्टी में तत्काल अपनी जिम्मेदारियों को संभालने और रफह टर्मिनल समेत गाजा पट्टी में सीमा पार क्रांसिंग पर नियंत्रण स्थापित करने की अनुमति देता है.

इसके अलावा, यह सभी फिलिस्तीनी प्राधिकरण के सिविल सेवकों को अपनी नौकरी पर लौटने की इजाजत देता है और उनके वेतन का भुगतान फिलिस्तीन सरकार करेगी क्योंकि वे सभी फिलिस्तीनी हैं. पीए में करीब 70000 सिविल सेवक हैं और जब से हमास ने गाजा पट्टी पर नियंत्रण स्थापित किया है तब से वे काम नहीं कर रहे हैं.


पृष्ठभूमि
हमास और फतह ने संघर्ष को समाप्त करने के लिए एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किया था और 23 अप्रैल 2014 को गाटा पट्टी में फिलिस्तीनी एकता सरकार का गठन किया था. हमास और फतह के बीच शांति समझौते के कारण इस्राइल ने फिलिस्तीन के साथ शांति वार्ता रद्द कर दी थी.

इस्राइल हमास को आतंकवादी संगठन मानता है और फिलिस्तीन के खिलाफ उनसे कई प्रतिबंधों की  घोषणा की है. वर्ष 2014 का फिलिस्तीनी एकता सरकार का गठन 2 जून 2014 को फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास के तहत हुआ था.

आयसेअधिकसंपत्तिमामलेमेंतमिलनाडुकीमुख्यमंत्रीजयललितादोषी

30-SEP-2014

तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता को बैंगलोर में विशेष अदालत ने आय से अधिक संपत्ति मामले में 27 सितंबर 2014 को दोषी पाया. अदालत ने उन्हें 4 वर्षों की जेल की सजा और 100 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया.

जयललिता के खिलाफ 18 वर्ष पुराने 66.65 करोड़ रुपयों के आय से अधिक संपत्ति मामले पर बैंगलोर की अदालत में कड़ी सुरक्षा के बीच फैसला सुनाया गया. जयललिता के अलावा अदालत ने शशिकला नटराजन, इलावारासी और जयललिता के दत्तक पुत्र वी एन सुधाकरण को भी दोषी पाया.

इस फैसले के साथ ही वह भारत की पहली ऐसी मुख्यमंत्री बन गईं जिन्हें आय से अधिक संपत्ति के मामले में अपने पद के लिए अयोग्य घोषित किया गया. 

दागीनेताओंपरसर्वोच्चन्यायालयकेफैसले
सर्वोच्च न्यायालय ने 10 जुलाई 2013 को कहा था कि संसद के आरोपी सदस्यों और एमएलए को अपराध के लिए सजा के तौर पर, अपील के लिए तीन माह का समय दिए बिना तत्काल सदन से उनकी सदस्यता को समाप्त किया जाए.

जस्टिस ए.के.पटनायक और एस जे मुखोपाध्याय की एक पीठ ने लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8(4) को असंवैधानिक बताते हुए निरस्त कर दिया. लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8(4) सजायाफ्ता सांसदों को उच्च न्यायालय में अपील करने हेतु तीन माह का समय देती है और जिससे वे सजा या दोषी करार देने पर रोक लागा पाते हैं.

पीठ ने हालांकि, यह स्पष्ट कर दिया था कि यह आदेश भावी होगा और जिन दागी सांसदों ने पहले से ही विभिन्न उच्च न्यायालयों या सर्वोच्च न्यायालय में अपनी सजा के खिलाफ याचिका दायर कर रखी है, वे इसके दायरे से बाहर होंगे.

बैंगलोरकेविशेषअदालतकेगठनकाकारण
जयललिता के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला वर्ष 2003 में सर्वोच्च न्यायालय ने डीएमके नेता अनबाझागन की याचिका पर बैंगलोर के विशेष अदालत में स्थांतरित कर दिया था. उस वक्त जयललिता के तमिलनाडु का मुख्यमंत्री होने के कारण डीएमके नेता ने निष्पक्ष सुनवाई पर संदेह जताया था.


मामला
आय से अधिक संपत्ति का मामला वर्ष 1996 में एम. करुरणानिधि के नेतृत्व में तत्कालीन डीएमके सरकार ने दायर किया था. इसके अलावा, इस मामले में वरिष्ठ बीजेपी नेता सुब्रह्मणियम स्वामी ने जयललिता के खिलाफ याचिका दायर की थी.

जयललिता पर आरोप था कि वर्ष 1991 में उनकी संपत्ति 3 करोड़ रुपये थी जो कि वर्ष 1991– 1996 के उनके पहले मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान बढ़कर 66 करोड़ रुपये हो गई. हालांकि, उन्होंने घोषणा की थी कि अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान वे बतौर वेतन सिर्फ 1 रुपया लेंगी.

अपने राजनीतिक करियर में यह पहली बार नहीं है कि जयललिता को अदालत ने सजा सुनाई हो. इससे पहले वर्ष 2000 में एक निचली अदालत ने जयललिता को दो मामलों में से एक में तीन वर्ष और एक में दो वर्ष के कैद की सजा सुनाई थी. इसके बाद वर्ष 2001 में उन्हें सर्वोच्च न्यायालय के उस फैसले के बाद जिसमें आपराधिक मामलों की वजह से सजायाफ्ता सांसद, मंत्रीं अपने पद पर नहीं रह सकते, मुख्यमंत्री पद से हटना पड़ा था. 

जेजयललिताकेबारेमें
•    वर्ष 1980 में एआईएडीएमके के संस्थापक नेता एम.जी. रामचंद्रन ने उन्हें प्रचार सचिव बनाया था. 
•    वर्ष 1984 में राज्य सभा सदस्य बनीं. 
•    वर्ष 1989 में वे पहली बार तमिलनाडु विधानसभा में चुनी गईं जिसके बाद 1991 में वे तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनीं. 
•    वे जानकी रामचंद्रन के बाद मुख्यमंत्री बनने वाली दूसरी महिला थीं. 
•    उनके अनुयायी उन्हें अम्मा (मां) और पुरात्ची थालावी (क्रांतिकारी नेता) कह कर बुलाते हैं. 
•    अपना राजनीतिक करियर शुरु करने से पहले वे 100 से अधिक फिल्मों में अभिनय कर चुकी थीं जिनमें से ज्यादातर तमिल, तेलुगु और कन्नड़ में थीं. उन्होंने कुछ हिन्दी और अंग्रेजी फिल्मों में भी अभिनय किया है. 
•    उन्होंने 16 साल की उम्र में कन्नड़ फिल्मों में कदम रखा था. 
•    उनकी कुछ फिल्मों में वेन्निरा अदाई (उनकी पहली तमिल फिल्म), पट्टिकडा पट्टिनामा, आयरथाली ओरुवन जिसके लिए उन्हें 1973 में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्म फेयर पुरस्कार मिला था), श्री कृष्ण सत्या. 
•    उनकी आखिरी फिल्म नदियाई थेड़ी वांधा काडाल (1980) थी. 
•    उनका जन्म 2 फरवरी 1948 को हुआ था.

बीसीसीआईनेरविशास्त्रीको 2015 विश्वकपतकभारतीयक्रिकेटटीमकानिदेशकबनाया

30-SEP-2014

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) कार्य समिति ने 26 सितंबर 2014 को भारतीय क्रिकेट टीम के निदेशक रवि शास्त्री का कार्यकाल 2015 आईसीसी विश्व कप तक के लिए बढ़ा दिया. आईसीसी क्रिकेट विश्व कप 14 फरवरी से 29 मार्च 2015 तक ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में खेला जाएगा. 52 वर्षीय रवि शास्त्री को निदेशक बनाए रखने का फैसला बीसीसीआई की कार्यसमिति की बैठक में किया गया.


बीसीसीआईकार्यसमितिकीबैठकमेंकिएगएअन्यफैसले –
•    समिति ने अपनी आम वार्षिक बैठक 20 नवंबर 2014 को चेन्नई में आयोजित करने का फैसला किया. 
•    विश्व कप तक कोच डंकन फ्लेचर की सेवाएं जारी रखने का फैसला किया गया. 
•    समिति ने संजय बांगर, भरत अरुण और आर श्रीधर के भारतीय सहयोगी स्टाफ तिकड़ी को पुरस्कृत करते हुए उनके अनुबंध को विश्व के खत्म होने तक जारी रखने का फैसला किया.

भारत के इंग्लैंड दौरे के दौरान एमएस धोनी की कप्तानी में भारतीय टीम के पांच मैचों की टेस्ट श्रृंखला 1–3 से हारने के बाद 19 अगस्त 2014 को रवि शास्त्री को भारतीय क्रिकेट टीम का निदेशक नियुक्त किया गया था. शास्त्री के अलावा, बीसीसीआई ने भारत के इंग्लैंड दौरे के लिए पूर्व ऑलराउंडर संजय बांगर और पूर्व भारतीय तेज गेंदबाज भरत अरुण को भारतीय क्रिकेट टीम का सहायक कोच नियुक्त किया था. जबकि हैदराबाद के पूर्व रणजी ट्रॉफी खिलाड़ी आर श्रीधर को एक दिवसीय श्रृंखला के लिए भारतीय क्रिकेट टीम का क्षेत्ररक्षण कोच नियुक्त किया था.

आयसेअधिकसंपत्तिमामलेमेंतमिलनाडुकीमुख्यमंत्रीजयललितादोषी

30-SEP-2014

तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता को बैंगलोर में विशेष अदालत ने आय से अधिक संपत्ति मामले में 27 सितंबर 2014 को दोषी पाया. अदालत ने उन्हें 4 वर्षों की जेल की सजा और 100 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया.

जयललिता के खिलाफ 18 वर्ष पुराने 66.65 करोड़ रुपयों के आय से अधिक संपत्ति मामले पर बैंगलोर की अदालत में कड़ी सुरक्षा के बीच फैसला सुनाया गया. जयललिता के अलावा अदालत ने शशिकला नटराजन, इलावारासी और जयललिता के दत्तक पुत्र वी एन सुधाकरण को भी दोषी पाया.

इस फैसले के साथ ही वह भारत की पहली ऐसी मुख्यमंत्री बन गईं जिन्हें आय से अधिक संपत्ति के मामले में अपने पद के लिए अयोग्य घोषित किया गया. 

दागीनेताओंपरसर्वोच्चन्यायालयकेफैसले
सर्वोच्च न्यायालय ने 10 जुलाई 2013 को कहा था कि संसद के आरोपी सदस्यों और एमएलए को अपराध के लिए सजा के तौर पर, अपील के लिए तीन माह का समय दिए बिना तत्काल सदन से उनकी सदस्यता को समाप्त किया जाए.

जस्टिस ए.के.पटनायक और एस जे मुखोपाध्याय की एक पीठ ने लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8(4) को असंवैधानिक बताते हुए निरस्त कर दिया. लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8(4) सजायाफ्ता सांसदों को उच्च न्यायालय में अपील करने हेतु तीन माह का समय देती है और जिससे वे सजा या दोषी करार देने पर रोक लागा पाते हैं.

पीठ ने हालांकि, यह स्पष्ट कर दिया था कि यह आदेश भावी होगा और जिन दागी सांसदों ने पहले से ही विभिन्न उच्च न्यायालयों या सर्वोच्च न्यायालय में अपनी सजा के खिलाफ याचिका दायर कर रखी है, वे इसके दायरे से बाहर होंगे.

बैंगलोरकेविशेषअदालतकेगठनकाकारण
जयललिता के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला वर्ष 2003 में सर्वोच्च न्यायालय ने डीएमके नेता अनबाझागन की याचिका पर बैंगलोर के विशेष अदालत में स्थांतरित कर दिया था. उस वक्त जयललिता के तमिलनाडु का मुख्यमंत्री होने के कारण डीएमके नेता ने निष्पक्ष सुनवाई पर संदेह जताया था.

मामला
आय से अधिक संपत्ति का मामला वर्ष 1996 में एम. करुरणानिधि के नेतृत्व में तत्कालीन डीएमके सरकार ने दायर किया था. इसके अलावा, इस मामले में वरिष्ठ बीजेपी नेता सुब्रह्मणियम स्वामी ने जयललिता के खिलाफ याचिका दायर की थी.

जयललिता पर आरोप था कि वर्ष 1991 में उनकी संपत्ति 3 करोड़ रुपये थी जो कि वर्ष 1991– 1996 के उनके पहले मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान बढ़कर 66 करोड़ रुपये हो गई. हालांकि, उन्होंने घोषणा की थी कि अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान वे बतौर वेतन सिर्फ 1 रुपया लेंगी.

अपने राजनीतिक करियर में यह पहली बार नहीं है कि जयललिता को अदालत ने सजा सुनाई हो. इससे पहले वर्ष 2000 में एक निचली अदालत ने जयललिता को दो मामलों में से एक में तीन वर्ष और एक में दो वर्ष के कैद की सजा सुनाई थी. इसके बाद वर्ष 2001 में उन्हें सर्वोच्च न्यायालय के उस फैसले के बाद जिसमें आपराधिक मामलों की वजह से सजायाफ्ता सांसद, मंत्रीं अपने पद पर नहीं रह सकते, मुख्यमंत्री पद से हटना पड़ा था. 

जेजयललिताकेबारेमें
•    वर्ष 1980 में एआईएडीएमके के संस्थापक नेता एम.जी. रामचंद्रन ने उन्हें प्रचार सचिव बनाया था. 
•    वर्ष 1984 में राज्य सभा सदस्य बनीं. 
•    वर्ष 1989 में वे पहली बार तमिलनाडु विधानसभा में चुनी गईं जिसके बाद 1991 में वे तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनीं. 
•    वे जानकी रामचंद्रन के बाद मुख्यमंत्री बनने वाली दूसरी महिला थीं. 
•    उनके अनुयायी उन्हें अम्मा (मां) और पुरात्ची थालावी (क्रांतिकारी नेता) कह कर बुलाते हैं. 
•    अपना राजनीतिक करियर शुरु करने से पहले वे 100 से अधिक फिल्मों में अभिनय कर चुकी थीं जिनमें से ज्यादातर तमिल, तेलुगु और कन्नड़ में थीं. उन्होंने कुछ हिन्दी और अंग्रेजी फिल्मों में भी अभिनय किया है. 
•    उन्होंने 16 साल की उम्र में कन्नड़ फिल्मों में कदम रखा था. 
•    उनकी कुछ फिल्मों में वेन्निरा अदाई (उनकी पहली तमिल फिल्म), पट्टिकडा पट्टिनामा, आयरथाली ओरुवन जिसके लिए उन्हें 1973 में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्म फेयर पुरस्कार मिला था), श्री कृष्ण सत्या. 
•    उनकी आखिरी फिल्म नदियाई थेड़ी वांधा काडाल (1980) थी. 
•    उनका जन्म 2 फरवरी 1948 को हुआ था.

शांतिस्वरूपभटनागरपुरस्कार 2014 कीघोषणा

सीएसआईआर ने दस वैज्ञानिकों को उनके अभूतपूर्व योगदान के लिए शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार 2014 की घोषणा 26 सितंबर 2014 को की. इस पुरस्कार की घोषणा नई दिल्ली में सीएसआईआर की 72वीं स्थापना दिवस समारोह के दौरान वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के महानिदेशक डॉ परमवीर सिंह आहूजा द्वारा की गई.

शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार के अतंर्गत वैज्ञानिकों को 5 लाख रुपये के नकद पुरस्कार के साथ ही प्रशस्ति-पत्र और प्रतीक चिन्ह से सम्मानित किया जाता है.

विभिन्नक्षेत्रोंमेंचयनितपुरस्कारविजेता
बायोलॉजिकलसाइंस: डॉ. रूप मलिक, टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, मुंबई
केमिकलसाइंसेज: डॉ. के. आर. प्रसाद, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरु और सौविक मैती, इंस्टिट्यूट ऑफ जीनोमिक्स ऐंड इंटिग्रेटिव बायॉलाजी, नई दिल्ली 
अर्थएटमॉस्फियरओसनऐंडप्लैनेटरीसाइंसेज: डॉ. एस.एन त्रिपाठी, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलाजी, कानपुर 
इंजीनियरिंगसाइंसेज: डॉ. एस. वेंकटमोहन, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नॉलाजी, हैदराबाद और डॉ. सौमेन चक्रवर्ती, आईआईटी, मुंबई
मैथमेटिकलसाइंसेज: डॉ. कौशल कुमार वर्मा, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरु
मेडिकलसाइंसेज: डॉ. अनुराग अग्रवाल, इंस्टिट्यूट ऑफ जीनोमिक्स ऐंड इंटिग्रेटिव बायॉलाजी, नई दिल्ली
फिजिकलसाइंसेज: डॉ. प्रताप रायचौधरी, टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, मुंबई और डॉ. एस.ए. रंगावाला, रमन रिसर्च इंस्टिट्यूट, बेंगलुरु

इसके अलावा, सीएसआईआर ग्रामीण विकास के एस एंड टी पुरस्कार 2013 और सीएसआईआर डायमंड जुबली प्रौद्योगिकी पुरस्कार 2014 की भी घोषणा की गई.

सीएसआईआरग्रामीणविकासएसएंडटीपुरस्कार 2013: सांबा चावल किस्म के विकास के लिए सीएसआईआर सेंटर फॉर सेल्यूलर एंड मालिक्यूलर बॉयोलाजी (सीएसआईआर-सीसीएमबी) हैदराबाद और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, डायरेक्टोरेट ऑफ राइस रिसर्च, हैदराबाद को सम्मानित किया गया.

सीएसआईआरडायमंडजुबलीप्रौद्योगिकीपुरस्कार 2014: कोलोरेक्टल कैंसर की एक अनोखी दवा इरीनोटीकेन (Irinotecan) के विकास और व्यावसायीकरण के लिए एव्रा लेबोरेटरीज प्रा. लिमिटेड, हैदराबाद को सम्मानित किया गया.

शांतिस्वरूपभटनागरपुरस्कार 2014 कीघोषणा

30-SEP-2014

सीएसआईआर ने दस वैज्ञानिकों को उनके अभूतपूर्व योगदान के लिए शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार 2014 की घोषणा 26 सितंबर 2014 को की. इस पुरस्कार की घोषणा नई दिल्ली में सीएसआईआर की 72वीं स्थापना दिवस समारोह के दौरान वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के महानिदेशक डॉ परमवीर सिंह आहूजा द्वारा की गई.

शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार के अतंर्गत वैज्ञानिकों को 5 लाख रुपये के नकद पुरस्कार के साथ ही प्रशस्ति-पत्र और प्रतीक चिन्ह से सम्मानित किया जाता है.

विभिन्नक्षेत्रोंमेंचयनितपुरस्कारविजेता
बायोलॉजिकलसाइंस: डॉ. रूप मलिक, टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, मुंबई
केमिकलसाइंसेज: डॉ. के. आर. प्रसाद, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरु और सौविक मैती, इंस्टिट्यूट ऑफ जीनोमिक्स ऐंड इंटिग्रेटिव बायॉलाजी, नई दिल्ली 
अर्थएटमॉस्फियरओसनऐंडप्लैनेटरीसाइंसेज: डॉ. एस.एन त्रिपाठी, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलाजी, कानपुर 
इंजीनियरिंगसाइंसेज: डॉ. एस. वेंकटमोहन, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नॉलाजी, हैदराबाद और डॉ. सौमेन चक्रवर्ती, आईआईटी, मुंबई
मैथमेटिकलसाइंसेज: डॉ. कौशल कुमार वर्मा, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरु
मेडिकलसाइंसेज: डॉ. अनुराग अग्रवाल, इंस्टिट्यूट ऑफ जीनोमिक्स ऐंड इंटिग्रेटिव बायॉलाजी, नई दिल्ली
फिजिकलसाइंसेज: डॉ. प्रताप रायचौधरी, टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, मुंबई और डॉ. एस.ए. रंगावाला, रमन रिसर्च इंस्टिट्यूट, बेंगलुरु

इसके अलावा, सीएसआईआर ग्रामीण विकास के एस एंड टी पुरस्कार 2013 और सीएसआईआर डायमंड जुबली प्रौद्योगिकी पुरस्कार 2014 की भी घोषणा की गई.

सीएसआईआरग्रामीणविकासएसएंडटीपुरस्कार 2013: सांबा चावल किस्म के विकास के लिए सीएसआईआर सेंटर फॉर सेल्यूलर एंड मालिक्यूलर बॉयोलाजी (सीएसआईआर-सीसीएमबी) हैदराबाद और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, डायरेक्टोरेट ऑफ राइस रिसर्च, हैदराबाद को सम्मानित किया गया.

सीएसआईआरडायमंडजुबलीप्रौद्योगिकीपुरस्कार 2014: कोलोरेक्टल कैंसर की एक अनोखी दवा इरीनोटीकेन (Irinotecan) के विकास और व्यावसायीकरण के लिए एव्रा लेबोरेटरीज प्रा. लिमिटेड, हैदराबाद को सम्मानित किया गया.

भारतके 41वेंप्रधानन्यायाधीशराजेंद्रमललोढासेवानिवृत्त

30-SEP-2014

न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेंद्र मल लोढा (न्यायमूर्ति आरएम लोढा) सर्वोच्च न्यायालय के 41वें प्रधान न्यायाधीश के पद से 27 सितंबर 2014 को सेवानिवृत्त हुए. न्यायमूर्ति राजेंद्र मल लोढा ने 27 अप्रैल 2014 को  भारत के 41वें प्रधान न्यायाधीश के पद की शपथ ली. न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेंद्र मल लोढा ने 27 अप्रैल 2014 को सेवानिवृत्ति हुए प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी सदाशिवम का स्थान लिया. 

प्रधान न्यायाधीश के रूप में उनका कार्यकाल पांच माह का रहा.

पूर्व प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी सदाशिवम की सिफारिश के बाद राष्ट्रपति ने न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेंद्र मल लोढा को भारत का प्रधान न्यायाधीश नियुक्त किया. 

प्रधान न्यायाधीश के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेंद्र मल लोढा ने कोयला आवंटन घोटाले में निर्णय किया था.

न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेंद्र मल लोढा की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की बेंच ने 24 सितम्बर 2014 को वर्ष 1993 और वर्ष 2010 के बीच आवंटित 218 कोल ब्लॉक में से सिर्फ चार सरकारी कोल ब्लॉक को छोड़कर शेष सभी कोल आवंटन रद्द कर दिए.

पूर्वप्रधानन्यायाधीशन्यायमूर्तिआरएमलोढासेसंबंधितमुख्यतथ्य
• न्यायमूर्ति आरएम लोढा वर्ष 1973 में राजस्थान बार काउंसिल में पंजीकृत हुए.
• उन्होंने राजस्थान उच्च न्यायालय में वकालत के दौरान संवैधानिक, सिविल, कंपनी, आपराधिक, कराधान और श्रम जैसी कानून की सभी शाखाओं की वकालत की.  
• जनवरी 1994 में वे राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश नियुक्त हुए और 15 दिन बाद ही उन्हें बंबई उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया.
• न्यायमूर्ति लोढा 13 वर्ष तक बंबई उच्च न्यायालय के न्यायाधीश रहे. फरवरी 2007 में वे पुनः राजस्थान उच्च न्यायालय स्थानांतरित हुए. 
• वह 13 मई 2008 को पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बने. 
• वह 17 दिसंबर 2008 को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के पद पर नियुक्त हुए.
• न्यायमूर्ति आरएम लोढा का जन्म राजस्थान के जोधपुर में वर्ष 1949 में हुआ था.
• उनके पिता एसके मल लोढा भी राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश रहे

भारतके 41वेंप्रधानन्यायाधीशराजेंद्रमललोढासेवानिवृत्त

30-SEP-2014

न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेंद्र मल लोढा (न्यायमूर्ति आरएम लोढा) सर्वोच्च न्यायालय के 41वें प्रधान न्यायाधीश के पद से 27 सितंबर 2014 को सेवानिवृत्त हुए. न्यायमूर्ति राजेंद्र मल लोढा ने 27 अप्रैल 2014 को  भारत के 41वें प्रधान न्यायाधीश के पद की शपथ ली. न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेंद्र मल लोढा ने 27 अप्रैल 2014 को सेवानिवृत्ति हुए प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी सदाशिवम का स्थान लिया. 

प्रधान न्यायाधीश के रूप में उनका कार्यकाल पांच माह का रहा.

पूर्व प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी सदाशिवम की सिफारिश के बाद राष्ट्रपति ने न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेंद्र मल लोढा को भारत का प्रधान न्यायाधीश नियुक्त किया. 

प्रधान न्यायाधीश के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेंद्र मल लोढा ने कोयला आवंटन घोटाले में निर्णय किया था.

न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेंद्र मल लोढा की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की बेंच ने 24 सितम्बर 2014 को वर्ष 1993 और वर्ष 2010 के बीच आवंटित 218 कोल ब्लॉक में से सिर्फ चार सरकारी कोल ब्लॉक को छोड़कर शेष सभी कोल आवंटन रद्द कर दिए.

पूर्वप्रधानन्यायाधीशन्यायमूर्तिआरएमलोढासेसंबंधितमुख्यतथ्य
• न्यायमूर्ति आरएम लोढा वर्ष 1973 में राजस्थान बार काउंसिल में पंजीकृत हुए.
• उन्होंने राजस्थान उच्च न्यायालय में वकालत के दौरान संवैधानिक, सिविल, कंपनी, आपराधिक, कराधान और श्रम जैसी कानून की सभी शाखाओं की वकालत की.  
• जनवरी 1994 में वे राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश नियुक्त हुए और 15 दिन बाद ही उन्हें बंबई उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया.
• न्यायमूर्ति लोढा 13 वर्ष तक बंबई उच्च न्यायालय के न्यायाधीश रहे. फरवरी 2007 में वे पुनः राजस्थान उच्च न्यायालय स्थानांतरित हुए. 
• वह 13 मई 2008 को पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बने. 
• वह 17 दिसंबर 2008 को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के पद पर नियुक्त हुए.
• न्यायमूर्ति आरएम लोढा का जन्म राजस्थान के जोधपुर में वर्ष 1949 में हुआ था.
• उनके पिता एसके मल लोढा भी राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश रहे.

लिएंडरपेसऔरमार्सिनमात्कोवस्कीनेमलेशियाईओपनकापुरुषयुगलखिताबजीता

29-SEP-2014

लिएंडर पेस और मार्सिन मात्कोवस्की ने एटीपी मलेशियाई ओपन के पुरुष युगल का खिताब 28 सितंबर 2014 को जीता. भारत और पोलैंड की चौथी वरीय जोड़ी ने कुआलालंपुर में ब्रिटेन के जेमी मरे और आस्ट्रेलिया के जान पीयर्स की जोड़ी को फाइनल में 3-6, 7-6, 10-5 से हराया.

यह भारत के टेनिस स्टार लिएंडर पेस के अपने कैरियर का 54वां एटीपी खिताब और सत्र का पहला खिताब था. पेस को इस जीत से 250 रैंकिंग अंक और 25065 डालर की इनामी राशि प्राप्त हुई. मात्कोवस्की के लिए, यह उनका दूसरा मलेशिया ओपन खिताब था. इससे पहले मात्कोवस्की ने मारिश फ़िर्स्टेनबर्ग के साथ वर्ष 2009 में पहली ट्राफी जीती थी.

मार्सिन मात्कोवस्की को अपने कैरियर का 54 वां एटीपी खिताब जितानें में मदद करने वाले पेस उनके 98 वें युगल जोड़ीदार है.

ब्रिटेनकेपूर्वीडिवोनमेंचौथीसदीकेसिक्केप्राप्तहुए

29-SEP-2014

ब्रिटेन के पूर्वी डिवोन में मेटल डिटेक्टर करने वाले व्यक्ति लारेंस इगरटोन को जमीन से चौथी सदी (रोमन साम्राज्य) के सिक्के प्राप्त हुए. इस संबंध में 26 सितंबर 2014 को घोषणा की गयी. इन सिक्कों का मू्ल्य एक लाख पौंड (एक करोड़ रुपए) है.

इक्यावन वर्षीय लारेंस इगरटोन को खुदाई के दौरान मिट्टी का घड़ा मिला, उसमें रोमन साम्राज्य के 22703 सिक्के मिले. इन सिक्कों में चांदी व तांबा अधिक मात्रा में मिला हुआ है. ये सिक्के 260 ई. से 348 ई. के मध्य के हैं.

चौथी शताब्दी में इन सिक्कों का मूल्य सोने की चार अशरफियों के बराबर रहा होगा. ब्रिटेन में पहली बार इतनी अधिक संख्या में रोमन साम्राज के सिक्के मिले हैं.

इस क्षेत्र की जमीन नमकीन (एसिडिक) है. जिसके कारण इतनी पुरानी धातु जमीन में गल जाती है लेकिन मिट्टी के बर्तन में होने के कारण यह सिक्के बचे रहे. यह सिक्के किसी सैनिक या किसान ने गाढ़ कर रखे होंगे.

विदित हो कि इस जमीन की खुदाई पुरातत्वेता कर चुके थे और उन्हें कुछ भी प्राप्त नहीं हुआ था. पेशे से बिल्डर इगरटोन शौकिया इस जमीन पर मेटल डिटेक्टर लेकर पहुंचा था. वहां उसे लोहे के तत्व मिलने के हल्के से संकेत प्राप्त हुए थे.

छठीदिल्लीआर्थिकजनगणना 2013 जारी

29-SEP-2014

छठी दिल्ली आर्थिक जनगणना 19 सितंबर 2014 को जारी की गई. इसे दिल्ली सरकार के आर्थिक और सांख्यिकी महानिदेशालय ने जारी किया. आर्थिक जनगणना का काम फरवरी 2013 से जून 2013 के बीच किया गया था. इसमें कृषि क्षेत्र की सभी प्रकार की उद्यमिता गतिविधियों और और गैर–कृषि गतिविधियों (फसल उत्पादन और रोपण को छोड़कर) को शामिल किया गया था.

जनगणनाकीमुख्यबातें
•    दिल्ली में प्रति उद्यम औसत रोजगार आकार 3.34 है जो कि राष्ट्रीय औसत 2.18 से अधिक है. 
•    दिल्ली के सिर्फ 3.32 फीसदी प्रतिष्ठानों में ही आठ या उससे अधिक कर्मचारियों को रोजगार मिला हुआ है. 
•    दिल्ली में काम कर रहीं कुल प्रतिष्ठानों की संख्या जो कि वर्ष 2005 की पांचवी आर्थिक जनगणना में 7.55 लाख थीं, वर्ष 2013 में 8.93 लाख हो गई, इसमें 18.35 फीसदी के वृद्धि का संकेत है. 
•    प्रतिष्ठानों में काम करने वाले कुल 2984850 लोगों में से अधिकांश पुरुष हैं, करीब 87.8 फीसदी. 
•    महिलाएं सिर्फ 12.2 फीसदी की हिस्सेदारी रखती हैं जबकि अखिल भारतीय स्तर पर महिलाओँ का कुल रोजगार 30.90 फीसदी है. दिलचस्प है कि, सिर्फ 68.70 फीसदी महिलाओं को ही काम पर रखा गया है, इससे पता चलता है कि वे अक्सर परिवार के सदस्यों या मालिकों की मदद करती हैं.
•    देश के कुल प्रतिष्ठानों का 1.53 फीसदी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में है. इनमें से 76.89 प्रतिष्ठान निश्चित ढांचे में परिचालित होते हैं जबकि बाकि के 23.11 फीसदी बिना किसी निश्चित ढांचे के घरों से परिचालत हो रही हैं.
•    प्रतिष्ठानों की अधिकतम संख्या यानि 1.53 लाख सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट में है. इसके बाद वेस्ट और नॉर्थ इस्ट डिस्ट्रिक्ट का स्थान है. 
•    रोजगार के मामले में, सबसे अधिक संख्या –5.76 लाख व्यक्ति सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट में काम कर रहे हैं. इसके बाद साउथ–ईस्ट और नॉर्थ डिस्ट्रिक्ट का स्थान है जहां कुल 19.3 फीसदी लोग काम करते हैं.

छठीदिल्लीआर्थिकजनगणना 2013 जारी

29-SEP-2014

छठी दिल्ली आर्थिक जनगणना 19 सितंबर 2014 को जारी की गई. इसे दिल्ली सरकार के आर्थिक और सांख्यिकी महानिदेशालय ने जारी किया. आर्थिक जनगणना का काम फरवरी 2013 से जून 2013 के बीच किया गया था. इसमें कृषि क्षेत्र की सभी प्रकार की उद्यमिता गतिविधियों और और गैर–कृषि गतिविधियों (फसल उत्पादन और रोपण को छोड़कर) को शामिल किया गया था.

जनगणनाकीमुख्यबातें
•    दिल्ली में प्रति उद्यम औसत रोजगार आकार 3.34 है जो कि राष्ट्रीय औसत 2.18 से अधिक है. 
•    दिल्ली के सिर्फ 3.32 फीसदी प्रतिष्ठानों में ही आठ या उससे अधिक कर्मचारियों को रोजगार मिला हुआ है. 
•    दिल्ली में काम कर रहीं कुल प्रतिष्ठानों की संख्या जो कि वर्ष 2005 की पांचवी आर्थिक जनगणना में 7.55 लाख थीं, वर्ष 2013 में 8.93 लाख हो गई, इसमें 18.35 फीसदी के वृद्धि का संकेत है. 
•    प्रतिष्ठानों में काम करने वाले कुल 2984850 लोगों में से अधिकांश पुरुष हैं, करीब 87.8 फीसदी. 
•    महिलाएं सिर्फ 12.2 फीसदी की हिस्सेदारी रखती हैं जबकि अखिल भारतीय स्तर पर महिलाओँ का कुल रोजगार 30.90 फीसदी है. दिलचस्प है कि, सिर्फ 68.70 फीसदी महिलाओं को ही काम पर रखा गया है, इससे पता चलता है कि वे अक्सर परिवार के सदस्यों या मालिकों की मदद करती हैं.
•    देश के कुल प्रतिष्ठानों का 1.53 फीसदी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में है. इनमें से 76.89 प्रतिष्ठान निश्चित ढांचे में परिचालित होते हैं जबकि बाकि के 23.11 फीसदी बिना किसी निश्चित ढांचे के घरों से परिचालत हो रही हैं.
•    प्रतिष्ठानों की अधिकतम संख्या यानि 1.53 लाख सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट में है. इसके बाद वेस्ट और नॉर्थ इस्ट डिस्ट्रिक्ट का स्थान है. 
•    रोजगार के मामले में, सबसे अधिक संख्या –5.76 लाख व्यक्ति सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट में काम कर रहे हैं. इसके बाद साउथ–ईस्ट और नॉर्थ डिस्ट्रिक्ट का स्थान है जहां कुल 19.3 फीसदी लोग काम करते हैं.

सुरेशप्रभुजी-20 वार्षिकशिखरसम्मेलन 2014 केलिएप्रधानमंत्रीनरेंद्रमोदीकेशेरपानियुक्त

सुरेश प्रभु जी-20 वार्षिक शिखर सम्मेलन 2014 के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शेरपा 23 सितंबर 2014 को नियुक्त किए गए.
उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा चयनित किया गया.

जी-20 वार्षिक शिखर सम्मेलन 15 नवम्बर-16 नवम्बर के बीच ब्रिस्बेन में आयोजित किया जाएगा. सुरेश प्रभु  30 सितंबर से 1 अक्टूबर 2014 के बीच कैनबरा, ऑस्ट्रेलिया में आयोजित जी-20 शेरपा की बैठक में भाग लेंगे. शेरपा एक वरिष्ठ अधिकारी होता है जो शिखर सम्मेलन के दौरान के नेताओं के विचार और एजेंडा को तैयार करने की जिम्मेदारी लेता है.

सुरेशप्रभुकेबारेमें

  • सुरेश प्रभु भारत की 14वीं लोकसभा के संसद सदस्य हैं.
  • सुरेश प्रभु ने इंडस्ट्रीज, पर्यावरण और वन, उर्वरक एवं रसायन और विद्युत, भारी उद्योग और सार्वजनिक उद्यम कैबिनेट मंत्री के रूप में सेवा की.
  • वर्तमान में, वह ऊर्जा, पर्यावरण और जल पर परिषद के अध्यक्ष हैं.
  • वह विश्व आर्थिक मंच के वैश्विक सलाहकार परिषद का सदस्य है
  • अशरफगनीअहमदजईनेअफगानिस्तानकेराष्ट्रपतिकेपदकीशपथली
  • 29-SEP-2014
    • अशरफ गनी अहमदजई ने 29 सितंबर 2014 को अफगानिस्तान के राष्ट्रपति के पद की शपथ ली. राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में अफगानिस्तान के प्रधान न्यायाधीश ने उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई.  अशरफ गनी अहमदजई ने वर्ष 2001 में अमेरिकी हमले के बाद से सत्तारूढ़ राष्ट्रपति हामिद करजई का स्थान लिया.
      • यह वर्ष 2001 में तालिबान के सत्ता से बेदखल होने के बाद देश में पहली बार लोकतांत्रिक तरीके से सत्ता का हस्तांतरण है.

        अशरफ गनी अहमदजई ने शपथ लेने के बाद अब्दुल्लाह का परिचय अपने मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में कराया. मुख्य कार्यकारी अधिकारी का पद प्रधानमंत्री पद के बराबर होगा. करजई के राष्ट्रपति रहते हुए यह पद सरकार में नहीं था.

        अशरफ गनी और अब्दुल्लाह के शपथ ग्रहण के साथ अफगानिस्तान में राष्ट्रपति चुनावों के बाद तीन महीने से चला आ रहा राजनीतिक संकट समाप्त हो गया है.
      • अफगानिस्तान के निर्वाचन आयोग ने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डॉ. अशरफ गनी को 21 सितंबर 2014 को राष्ट्रपति निर्वाचित घोषित किया था. इससे पहले निवर्तमान राष्ट्रपति हामिद करजई की उपस्थित में डॉ. अशरफ गनी को अफगानिस्तान का राष्ट्रपति बनाने के लिए उन्होंने डॉ. अब्दुल्ला के साथ ‘राष्ट्रीय एकता सरकार’ समझौते पर हस्ताक्षर किया गया. अफगानिस्तान के निर्वाचन आयोग ने इस समझौते के बाद डॉ. अशरफ गनी के विजयी होने की घोषणा की थी.

        ‘राष्ट्रीय एकता सरकार’ समझौते के तहत डॉ. अब्दुल्ला को इस सरकार के नवसृजित पद ‘मुख्य कार्यकारी अधिकारी’ (सीईओ) चुना गया. ‘मुख्य कार्यकारी अधिकारी’ (सीईओ) का पद प्रधानमंत्री के समकक्ष है.

        पूर्व तालिबान विरोधी लड़ाके एवं पूर्व विदेश मंत्री डॉ. अब्दुल्ला के पास ताजिक समुदाय और अन्य उत्तर जातीय समूहों का समर्थन है जबकि विश्व बैंक के पूर्व अर्थशास्त्री डॉ. अशरफ गनी के पास दक्षिण और पूर्व के पश्तून कबाइलियों का समर्थन है.

        अफगानिस्तान के संविधान के तहत देश के राष्ट्रपति के पास पूरा नियंत्रण होगा, लेकिन देश की सुरक्षा और आर्थिक हालात लगातार बिगड़ने की वजह से नए सरकारी तंत्र को एक कठिन परीक्षा से गुजरना होगा.
        • विदित हो कि अफगानिस्तान में अप्रैल 2014  में राष्ट्रपति चुनाव हुआ था जिसमें आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार डॉ. अब्दुल्ला को 45 प्रतिशत मत मिले थे लेकिन उनका दावा था कि उन्हें 50 प्रतिशत से अधिक मत मिले हैं. उसके बाद जून 2014 में हुये दूसरे चरण के मतदान में भी उन्होंने डॉ. गनी को पराजित करने का दावा किया था लेकिन आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक डॉ. गनी 55 प्रतिशत मतों के साथ विजयी हुये. डॉ. अब्दुल्ला ने जून 2014 में हुये दूसरे चरण के मतदान में धांधली का आरोप लगाया था जिसके बाद राष्ट्रपति पद के लिये दावेदारी को लेकर खासा गतिरोध पैदा हो गया था. इसके बाद अमेरिकी विदेश मंत्री जान कैरी ने जुलाई 2014 में अपनी अफगानिस्तान यात्रा के दौरान दोनों नेताओं को शक्ति के बंटवारे के लिये समझौता करने पर सैद्धांतिक तौर पर राजी कर लिया था. अमेरिकी व्हाइट हाउस ने एक बयान जारी करके दोनों नेताओं के इस कदम की सराहना करते हुये कहा कि इस समझौते से अफगानिस्तान के राजनीतिक संकट को दूर करने में मदद मिलेगी. यह समझौता अफगानिस्तान में स्थिरता लाने और शांति स्थापित करने में सहायक साबित होगा.

सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को सीवीसी, वीसी की नियुक्ति में पारदर्शिता लाने को कहा

सर्वोच्च न्यायालय ने 18 सितंबर 2014 को केंद्र सरकार को मुख्य सतर्कता आयुक्त (सीवीसी), सतर्कता आयुक्त (वीसी) की नियुक्ति में पारदर्शिता लाने को कहा.

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस आर एम लोढ़ा, जस्टिस कुरियन जोसफ और जस्टिस आर एफ नरिमन की सर्वोच्च न्यायालय पीठ ने कहा कि केंद्र सरकार को अपने ध्यान क्षेत्र के दायरे को बढ़ाते हुए इसमें सिविल सेवकों के अलावा अन्य लोगों को भी शामिल करना चाहिए. उसने प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने को भी कहा.

पीठ ने नाम अग्रेषित करने के मानदंडों के बारे में भी सवाल पूछे और केंद्र को अपना जवाब 9 अक्टूबर 2014 तक देने को कहा. मामले की अंतिम सुनवाई 14 अक्टूबर 2014 को होगी.

इसके बाद, अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि चयन प्रक्रिया को पूरा करने में कम–से–कम एक माह का वक्त लग जाएगा और आश्वसन दिया कि जब तक मामला सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है तब तक नियुक्ति पर किसी प्रकार का अंतिम फैसला नहीं किया जाएगा.


पृष्ठभूमि
सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने यह आदेश एक स्वयंसेवी संगठन– सेंटर फॉर इंटिग्रिटी, गवर्नेंस एंड ट्रेनिंग इन विजिलेंस एडमिनिस्ट्रेशन, द्वारा दायर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान दिया. इस जनहित याचिका में 21 जुलाई 2014 को सचिव, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग द्वारा जारी उस पत्र का संदर्भ दिया गया था जिसमें सरकार के सचिवों को कथित तौर पर आम लोगों को दूर रखने के लिए, सीवीसी औऱ वीसी के पद के लिए नाम का सुझाव देने को कहा गया था.

जनहित याचिका में सीवीसी औऱ वीसी के पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया अध्यक्ष के एक पद और लोकपाल के सदस्यों के आठ पदों पर लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम, 2013 की तर्ज पर किए जाने की मांग की जा रही थी.

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने वियतनाम के क्यू ची सुरंगों का दौरा किया

29-SEP-2014

क्यू-चीसुरंगेंहोचीमिन्हशहरवियतनाम

भारतीय राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के 17 सितंबर 2014 को वियतनाम के ऐतिहास क्यू-ची सुरंगों की यात्रा ने इस स्थान को सुर्खियों में ला दिया. चू ची सुरंग हो ची मिन्ह शहर (साईगांव), वियतनाम के क्यू ची जिले में स्थित है. यह सैन्य इतिहास के सबसे अधिक बमबारी, गोलीबारी औऱ बर्बाद इलाकों में से है.

इन सुरंगों में एक नेटवर्क है जिसमें 200 किलोमीटर से भी लंबी सुरंगें एक–दूसरे से मकड़ी के जाल की तरह जुड़ी हैं. इस भूमिगत गांव से, क्रांतिकारी दलों ने अमेरिका के खिलाफ वर्ष 1968 में आक्रमण किया था. इन सुरंगों का इस्तेमाल अप्रैल 1975 में दक्षिण वियतनाम को आजाद कराने वाले हो चिन मिन्ह अभियान के दौरान भी किया गया था.

ये सुरंगे वियत कांग नियंत्रित परिक्षेत्रों जो कि दक्षिण वियतनामियों और अमेरिकी जमीन एवं हवाई हमलों से एक दूसरे से अलग हो गए थे, में संचार और समन्वय की सुविधा प्रदान करता है.

इन सुरंगों में रसोईघर, खाना और गोला बारूद भंडारण कैश, मेडिकेयर चैंबर, बैठक कक्ष, कमांडिंग रूम, और अन्य सुविधाएं हैं. गुप्त भूमिगत मार्ग वियत कांग्रेस को डोंग डू में जब कभी सुरंग अमेरिकी सैन्य बेस की परिधि में आ जाए, तब, एकदम से हमला करने और बिना किसी पहचान को छोड़े गायब हो जाने की अनुमति देता है.

मस्तिष्क कोशिका की नई किस्म की खोज की गयी

27-SEP-2014

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Who:मस्तिष्क कोशिका की नई किस्म

What:खोज

When:17 सितंबर 2014

शोधकर्ताओं ने एक नए प्रकार की मस्तिष्क कोशिका की खोज की है जो कोशिका बनावट (सेल बॉडी) को दरकिनार कर संकेत भेजती है. यह खोज ‘न्यूरॉन’ नामक शोध जर्नल में 17 सितंबर 2014 में प्रकाशित हुई थी.

नई कोशिकाएं चूहे के अश्वमीन (हिप्पोकैम्पस) में पाया गया है. मनष्यों में भी चूहों के जैसी ही सामान्य मस्तिष्क संरचना और अश्वमीन पाया जाता है.

आमतौर पर, प्रतीकात्मक मस्तिष्क कोशिका में शाखाओं में बंटी हुई डेंड्राइट्स को अन्य न्यूरॉनों से भी संकेत प्राप्त होते हैं. ये संकेत एक बार परिवर्तित किए जाने के बाद एक्जॉन के साथ दूसरे न्यूरॉनों को भेज दिए जाते हैं. शोधकर्ताओं द्वारा खोजी गयी मस्तिष्क कोशिका से एक्जॉन एक डेन्ड्राइट्स से सीधे पैदा होते है.

तंत्रिकातंत्रवैज्ञानिकों (न्यूरोसाइंटिस्टद्वाराकियागयाशोध

इन एक्जॉन वाहक डेंड्राइट्रों को प्राप्त होने वाले संकेतों के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए टीम ने ग्लूटामेट नाम का एक न्यूरोट्रांसमीटर एक चूहे के मस्तिष्क कोशिका में डाला. ये ट्रांसमीटर बेहद हल्के स्पंदन से भी सक्रिए हो सकते हैं.

हाई–रेजल्युशन वाले माइक्रोस्कोप का प्रयोग कर टीम ने विशिष्ट डेंड्राइट पर सीधे प्रकाश बीम डाला और फिर इनपुट संकेत के अनुकरण के लिए न्यूरोट्रांसमीटर को सक्रिय किया.

परिणाम, पाया गया कि एक्जॉन से सीधे जुड़े डेंड्राइट्स छोटे से भी इनपुट उत्तेजना से सक्रिए हो जाता है और न्यूरॉन को सक्रिए बना देता है. यह तब हुआ जब एक्जॉन को अन्य डेंड्राइट से सूचना प्रवाह निरोधात्मक इनपुट संकेतों को कोशिका शरीर पर दबा दिया जाता है.


इस विशिष्ट डेंड्राइट से प्रेषित सूचना किसी भी अन्य डेंड्राइट से प्रेषित सूचना के मुकाबले तंत्रिका कोशिका के व्यवहार को प्रभावित करती है.

अप्रत्याशितनिष्कर्ष

•    न्यूरॉन विभिन्न आकृति और आकार के होते हैं लेकिन इसका बुनियादी ब्लूप्रिंट सेल बॉडी के जैसा ही होता है जो जिससे डेंड्राइट और एक्जॉन उभरते हैं.

•    डेंड्राइट्स शाखा जैसी संरचना होती है जो अन्य तंत्रिका कोशिकाओं से संकेत प्राप्त करते हैं और उसे बॉडी सेल को भेजते हैं. उसके बाद न्यूरॉन संकेतों को परिष्कृत करता है और फिर सूचना को अगली कोशिका को एक्जॉन के जरिए भेजता है.

•    हालांकि, नई खोज की गई कोशिका में अज्ञात प्रक्रिया है. इन कोशिकाओं में, संकेत किसी डेंड्राइटस से निकलने वाले एक्जॉन की यात्रा करने की बजाए सेल बॉडी को छोड़ देता है.

•    टीम ने हिप्पोकैम्पस (मस्तिष्क का हिस्सा जिसमें स्मृति शामिल होती है) में पीरामिड के आकार वाली कोशिकाओं में एक्जॉन की उत्पत्ति स्थान को रंगा है. आधे से अधिक कोशिकाओँ में, उन्होंने पाया कि एक्जॉन सेल बॉडी से नहीं निकला लेकिन वह किसी डेंड्राइट से पैदा होता है.

अनुत्तरितसवाल

हालांकि, खोज के बाद यह सवाल उठाया गया है कि आखिर क्यों इन हिप्पोकैम्पस कोशिकाओं को इन विशेष बाइपाइस की जरूरत है जो सेल बॉडी को छोड़ देते हैं. कोशिकाओं का अनूठा आकार संभवतः उन्हें अधिक मजबूत बनाता है और उन स्थितियों से खतरे को कम करता है जहां उनकी प्रतिक्रिया न्यूरांस के परंपरागत मार्ग पर काम करने की बजाए कम होती है.

हालांकि, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि कौन सा संकेत इस विशेषाधिकार प्राप्त चैनल का उपयोग करता है और क्यों.

मस्तिष्क कोशिका की नई किस्म की खोज की गयी

27-SEP-2014

शोधकर्ताओं ने एक नए प्रकार की मस्तिष्क कोशिका की खोज की है जो कोशिका बनावट (सेल बॉडी) को दरकिनार कर संकेत भेजती है. यह खोज ‘न्यूरॉन’ नामक शोध जर्नल में 17 सितंबर 2014 में प्रकाशित हुई थी.

नई कोशिकाएं चूहे के अश्वमीन (हिप्पोकैम्पस) में पाया गया है. मनष्यों में भी चूहों के जैसी ही सामान्य मस्तिष्क संरचना और अश्वमीन पाया जाता है.

आमतौर पर, प्रतीकात्मक मस्तिष्क कोशिका में शाखाओं में बंटी हुई डेंड्राइट्स को अन्य न्यूरॉनों से भी संकेत प्राप्त होते हैं. ये संकेत एक बार परिवर्तित किए जाने के बाद एक्जॉन के साथ दूसरे न्यूरॉनों को भेज दिए जाते हैं. शोधकर्ताओं द्वारा खोजी गयी मस्तिष्क कोशिका से एक्जॉन एक डेन्ड्राइट्स से सीधे पैदा होते है.

तंत्रिकातंत्रवैज्ञानिकों (न्यूरोसाइंटिस्टद्वाराकियागयाशोध

इन एक्जॉन वाहक डेंड्राइट्रों को प्राप्त होने वाले संकेतों के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए टीम ने ग्लूटामेट नाम का एक न्यूरोट्रांसमीटर एक चूहे के मस्तिष्क कोशिका में डाला. ये ट्रांसमीटर बेहद हल्के स्पंदन से भी सक्रिए हो सकते हैं.

हाई–रेजल्युशन वाले माइक्रोस्कोप का प्रयोग कर टीम ने विशिष्ट डेंड्राइट पर सीधे प्रकाश बीम डाला और फिर इनपुट संकेत के अनुकरण के लिए न्यूरोट्रांसमीटर को सक्रिय किया.

परिणाम, पाया गया कि एक्जॉन से सीधे जुड़े डेंड्राइट्स छोटे से भी इनपुट उत्तेजना से सक्रिए हो जाता है और न्यूरॉन को सक्रिए बना देता है. यह तब हुआ जब एक्जॉन को अन्य डेंड्राइट से सूचना प्रवाह निरोधात्मक इनपुट संकेतों को कोशिका शरीर पर दबा दिया जाता है.


इस विशिष्ट डेंड्राइट से प्रेषित सूचना किसी भी अन्य डेंड्राइट से प्रेषित सूचना के मुकाबले तंत्रिका कोशिका के व्यवहार को प्रभावित करती है.

अप्रत्याशितनिष्कर्ष

•    न्यूरॉन विभिन्न आकृति और आकार के होते हैं लेकिन इसका बुनियादी ब्लूप्रिंट सेल बॉडी के जैसा ही होता है जो जिससे डेंड्राइट और एक्जॉन उभरते हैं.

•    डेंड्राइट्स शाखा जैसी संरचना होती है जो अन्य तंत्रिका कोशिकाओं से संकेत प्राप्त करते हैं और उसे बॉडी सेल को भेजते हैं. उसके बाद न्यूरॉन संकेतों को परिष्कृत करता है और फिर सूचना को अगली कोशिका को एक्जॉन के जरिए भेजता है.

•    हालांकि, नई खोज की गई कोशिका में अज्ञात प्रक्रिया है. इन कोशिकाओं में, संकेत किसी डेंड्राइटस से निकलने वाले एक्जॉन की यात्रा करने की बजाए सेल बॉडी को छोड़ देता है.

•    टीम ने हिप्पोकैम्पस (मस्तिष्क का हिस्सा जिसमें स्मृति शामिल होती है) में पीरामिड के आकार वाली कोशिकाओं में एक्जॉन की उत्पत्ति स्थान को रंगा है. आधे से अधिक कोशिकाओँ में, उन्होंने पाया कि एक्जॉन सेल बॉडी से नहीं निकला लेकिन वह किसी डेंड्राइट से पैदा होता है.

अनुत्तरितसवाल

हालांकि, खोज के बाद यह सवाल उठाया गया है कि आखिर क्यों इन हिप्पोकैम्पस कोशिकाओं को इन विशेष बाइपाइस की जरूरत है जो सेल बॉडी को छोड़ देते हैं. कोशिकाओं का अनूठा आकार संभवतः उन्हें अधिक मजबूत बनाता है और उन स्थितियों से खतरे को कम करता है जहां उनकी प्रतिक्रिया न्यूरांस के परंपरागत मार्ग पर काम करने की बजाए कम होती है.

हालांकि, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि कौन सा संकेत इस विशेषाधिकार प्राप्त चैनल का उपयोग करता है और क्यों.

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शहरी इलाकों के लिए स्वच्छ भारत मिशन को मंजूरी दी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 24 सितंबर 2014 को शहरी इलाकों के लिए स्वच्छ भारत मिशन को मंजूरी दी. मिशन की शुरुआत 2 अक्टूबर 2014 से होगी और यह पांच वर्ष की अवधि के लिए लागू किया जाएगा.

स्वच्छ भारत मिशन को देश के 4041 से अधिक वैधानिक कस्बों में लागू किया जाएगा और इस पर 62009 करोड़ रुपये की लागत आएगी जिसमें से 14623 करोड़ रुपये का खर्च केंद्र सरकार उठाएगी.

मिशन स्वच्छ भारत अभियान का शहरी घटक है और इसे केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय लागू करेगा. मिशन का ग्रामीण घटक केंद्रीय पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय द्वारा लागू किया जाएगा.

मिशनकीमुख्यबातें

•    मिशन में खुले शौच का उन्मूलन, आरोग्यविघातक शौचालयों को फ्लश शौचालयों में रूपांतरण, मैला ढोने की परंपरा का उन्मूलन, नगरपालिका ठोस अपशिष्ट प्रबंधन शामिल हैं.

•    कार्यक्रम में सभी 4041 से अधिक वैधानिक कस्बों में  i) व्यक्तिगत घरेलू शौचालय, ii) समुदाय और सार्वजनिक शौचालय और iii) नागरिक ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, की सुविधा के लिए घटक होंगे.

•    इसके तहत 1.04 करोड़ घरों को कवर किया जाएगा, सामुदायिक शौचालयों के लिए 2.5 लाख सीटें प्रदान करना, सार्वजनिक शौचालयों के लिए 2.6 लाख शौचायल सीटें और सभी शहरों के लिए ठोस कचरा प्रबंधन सुविधा दी जाएगी.

मिशनकाउद्देश्य

•    मिशन का उद्देश्य जनता में स्वस्थ स्वच्छता प्रथाओं के बारे में उनकी मानसिकता को बदलना और स्वच्छता एवं जन स्वास्थ्य से इसके संबंधों के बारे में नागरिकों में जागरूकता पैदा करना है.

•    इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए स्थानीय शहरी निकायों को डिजाइन, निष्पादन और परिचालन प्रणाली बनाने के लिए मजबूत बनाना और पूंजीगत खर्च एवं परिचालन खर्च में नीजि क्षेत्र की भागीदारी के लिए सही माहौल बनाना भी इसके उद्देश्यों में शामिल है.

स्वच्छ भारत अभियान की योजना का उल्लेख केंद्रीय बजट 2014–15 में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 10 जुलाई 2014  को की थी. इस योजना का प्रस्ताव पेयजल एवं स्वच्छता योजना के तहत केंद्रीय बजट में किया गया था. प्रस्ताव के मुताबिक वर्ष 2019 तक प्रत्येक घर को स्वच्छता सुविधा के तहत कवर किया जाएगा.

सार्क देशों के संस्कृति मंत्रियों की तीसरी बैठक में दिल्ली संकल्प को अपनाया गया

27-SEP-2014

सार्क देशों के संस्कृति मंत्रियों की तीसरी बैठक 24 व 25 सितंबर 2014 को नई दिल्ली में आयोजित की गई. यह बैठक संस्कृति राज्य मंत्री श्रीपद नाइक की अध्यक्षता में हुई.

वर्ष 2014– 2017 की अवधि में सार्क क्षेत्र में सांस्कृतिक संबंधों की रूपरेखा के तौर पर दिल्ली संकल्प को अपनाया गया.

दिल्लीसंकल्प

•    वर्ष 2016– 2017 को सार्क सांस्कृतिक विरासत वर्ष घोषित करना. 2015– 2016 के लिए, सार्क की सांस्कृतिक राजधानी बामियान होगी और सार्क सांस्कृतिक राजधानी के तौर पर बामियान का उद्घाटन समारोह अप्रैल 2015 में किया जाएगा.

•    विश्व धरोहर सूची और विरासत स्थलों के अंतरराष्ट्रीय नामांकन के लिए एक क्षेत्रीय सूची का प्रस्ताव तैयार करना.

•    अन्य अंतर्देशीय संबंधों के रूप में समुद्री मार्गों और मानसून के प्रभाव और योगदान की पहचान के लिए.

•    क्षेत्रीय नामांकन के जरिए सदस्य देशों के बीच सांस्कृतिक संबंधों को पुनर्परिभाषित कर बातचीत बढ़ाने के लिए.

•    संस्कृति पर समर्पित सार्क वेबसाइट शुरु कर सार्क संस्कृति को ऑनलाइन बढ़ावा देने के लिए. इसमें दुर्लभ पांडुलिपियों, दुर्लभ पुस्तकों और अमूर्त सांस्कृतिक मूल्य वाले लेख का डिजिटलीकरण पर जोर दिया जाएगा.

•    सार्क क्षेत्र में सांस्कृतिक संस्थानों को मजबूत बनाना, उनके प्रदर्शन के लिए सांस्कृतिक उत्सवों को बढ़ावा देना जो कि सार्क सदस्य देशों में अनूठे हों, और कलाकारों, लेखकों और विद्वानों के लिए सार्थक विनिमय कार्यक्रमों को सक्षम बनाने के लिए.

•    सार्क सांस्कृतिक विरासत समिति (एसएचसी) और सांस्कृतिक संस्थान की स्थापना जो सदस्य देशों में ऐतिहासिक स्थलों के संरक्षण, रखरखाव के साथ उनके डिजिटल मैपिंग के प्रयासों को बढ़ावा देना और साथ ही संग्रहालयों और क्षेत्र के अन्य भंडारों में सांस्कृतिक संपत्ति विकसित करना और उनमें सर्वोत्तम प्रथाओं और मानकों को लागू करना.

•    इलाकों की स्थानीय भाषाओं में लिखे गए साहित्य को बढ़ावा देना और अनुवाद, न सिर्फ अंग्रेजी में बल्कि एक सार्क भाषा से दूसरी सार्क भाषा में सीधे अनुवाद के जरिए उसे विश्व भर के पाठकों तक पहुंचाना, लेखकों को रचनात्मक परियोजनाओं ,अन्य लेखकों के साथ मिलकर काम करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना और अन्य संस्कृतियों के प्रति जानकारी मुहैया कराना.

•    इस वैश्विक संस्कृति के युग में हमारे साझे अतीत की बेहतर समझ और क्षेत्र की सांस्कृतिक भविष्य की कल्पना नए सिरे से करने दोनों ही के लिए लोककथाओं और अन्य मौखिक परंपरा जो स्थानीय आख्यानों और संस्कृतियों के बारे में बताती है, के संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता देना.

•    सार्क क्षेत्र के विजुअल और परफॉर्मिंग आर्ट के रूपों को विश्व के अन्य हिस्सों तक – सांस्कृतिक और भौगोलिक दोनों ही – स्तर पर पहुंचाने के लिए प्रोत्साहित कर इन भूमियों को सांस्कृतिक कूटनीति के सतत अभियान के हिस्से के रूप में सजाना ताकि इन स्थलों की तरफ पर्यटकों को आकर्षित किया जा सके और सार्क पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सके.

•    सार्क देशों की जनता की साक्षरता में सुधार के वन मिशन– मोड को समर्थन देना और फिर सूदूर इलाकों में पुस्तकालयों की स्थापना कर किताबों और अन्य पठन सामग्रियों तक जनता की पहुंच बनाकर उनके पढ़ने की आदत को प्रोत्साहित करने के लिए.

•    पुरातात्विक महत्व वाले स्थलों और विरासत स्थलों पर उसमें प्रवेश के लिए सामान्य दर निश्चित कर सार्क देशों के आगंतुकों के आग्रह और दिलचस्पी को बढ़ावा देने के लिए. 
सार्क संस्कृति मंत्रियों ने संस्कृति मंत्रियों की चौथी बैठक के लिए बांग्लादेश में मिलना तय किया है.

एलायंस एयर ने उड़ान संचालन के लिए एनई परिषद के साथ समझौता किया

एलायंस एयर ने 24 सितंबर 2014 को उत्तर पूर्व में विमानों के संचालन के लिए उत्तर पूर्व परिषद के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया.

समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री अशोक गजपति राजू पुसापति और उत्तर पूर्व क्षेत्र के विकास राज्य मंत्री वी के सिंह की उपस्थिति में किया गया.

समझौताज्ञापनकीमुख्यविशेषताएं

•    एलायंस एयर 31 मार्च 2016 तक ATR 42 टाइप के विमानों के जरिए शिलांग, तेजपुर, लीलाबरी, सिलचर और गुवाहाटी में हवाई सेवाएं मुहैया कराएगा.

•    उत्तर पूर्व परिषद एविएशन टरबाइन फ्यूल, लैंडिंग और रूट नेविगेशन सुविधा शुल्क में रियायत प्राप्त करने में मदद करेगा.

•    परिचालन के वास्तविक लागत की समीक्षा प्रत्येक तीन माह पर प्रस्तावित लागत के आधार पर की जाएगी.

पृष्ठभूमि

एलायंस एयर जनवरी 2013 से व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण (वायबलिटि गैप फंडिंग–वीजीएफ) के तहत उत्तर पूर्व में विमानों का परिचालन कर रहा है. वीजीएफ राजस्व से लागत घटाव( कॉस्ट मानइस रेवेन्यू) सूत्र है जिसे उत्तर पूर्वमें परिचालन घाटे को कवर करने में इस्तेमाल किया जाता है.

एलायंस एयर ने उत्तर पूर्व परिषद को 31 दिसंबर 2012 तक सेवाएं दी. तब तक वह प्रत्येक सप्ताह उत्तर पूर्व में 65 विमानों का परिचालन कर रही थी. जनवरी 2013 में आउटस्टैंडिंग वीजीएफ की वजह से एयरलाइन ने उत्तर पूर्व में अपनी एटीआर संचालन का पुनर्गठन किया था.

एनईसी और एलायंस एयर के बीच फंड को लेकर कुछ मुद्दे थे और शुरुआत में एनईसी ने यह कहकर आउटस्टैंडिंग  बिलों का भुगतान करने से इनकार कर दिया कि एलायंस एयर दिसंबर 2012 में समझौते के खत्म होने के बाद भी विमानों का परिचालन कर रहा था. इसके बाद समझौते को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया और तब से कुछ मार्गों पर एटीआर सेवाओँ को  बंद कर दिया गया था.

इस बीच, एलायंस एयर ने ATR विमानों के जरिए कोलकाता– सिलचर, कोलकाता– गुवाहाटी और सिलचर– इंफाल मार्ग पर परिचालन जारी रखा. साथ ही जुलाई 2013 में कोलकाता– शिलांग मार्ग पर सप्ताह में पांच बार साप्ताहिक उड़ानें बहाल कर दी।